गुरुवार, 14 नवंबर 2019

धोखाधड़ी के मामले में फरार 2 आरोपी को प्रेमनगर पुलिस ने किया गिरफ्तार.............

पुलिस अधीक्षक ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी हेतु चला रखा है अभियान

सूरजपुर। गत् 03/08/17 को ग्राम कोटेया थाना प्रेमनगर निवासी राम सिरदार ने थाना प्रेमनगर में रिपोर्ट दर्ज कराया कि वर्ष 2014 में मैग्मा फाईनेंस कंपनी से लोन लिया था और सोनालिका कंपनी का टेªक्टर व ट्राली खरीदा था जिसका डाउन पेमेंट 1 लाख 60 हजार रूपये किया था शेष राशि का किस्त बना था जिसका किस्त टूटने से कंपनी के द्वारा वाहन को सीज करने हेतु सीजर राकेश सिंह अपने कर्मचारी अमीन खान व उसके साथी को ग्राम कोटेया भेजकर टेªक्टर व ट्राली को सीज कर अम्बिकापुर मंगाया और इंजन को महामाया यार्ड में जमा कर दिया गया व ट्राली को जमा नहीं किए। कंपनी के कर्मचारी अजय चैबे प्रार्थी से कई बार किस्त की राशि प्राप्त कर कंपनी में जमा नहीं किया जिस कारण इंजन को भी कंपनी ने सीज कर दिया। ट्रेक्टर के ट्राली को अकीम खान, अजय चैबे, जावेद खान, राकेश सिंह ने अम्बिकापुर के हरजीत सिंह सचदेवा के माध्यम से बिक्री कर दिया गया की रिपोर्ट पर थाना प्रेमनगर में अपराध क्रमांक 88/17 धारा 406, 408, 420, 34 भादवि का अपराध पंजीबद्व किया गया। जांच विवेचना उपरान्त अजय चैबे, अकीन खान व जावेद खान को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमाण्ड पर भेजा गया था। प्रकरण में 02 आरोपी करीब 2 वर्षो से फरार थे जिनके गिरफ्तारी हेतु लगातार प्रयास किए जा रहे थे।
पुलिस अधीक्षक सूरजपुर श्री राजेश कुकरेजा के द्वारा विगत दिनों जिले के थाना प्रभारियों की बैठक लेकर धारा 173(8) जा.फौ. के फरार आरोपियों की पतासाजी, उनके रहने के हरसंभव ठिकानों पर दबिश देकर पकड़ने के निर्देश दिए थे।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर व एसडीओपी प्रेमनगर प्रकाश सोनी के मार्गदर्शन प्रेमनगर पुलिस टीम के द्वारा मुखबीर की सूचना पर मामले में 2 वर्षो से फरार चल रहे आरोपी हरजीत सिंह सचदेवा व राकेश कुमार सिंह को 14 नवम्बर 2019 को विधिवत् गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में पेश किया गया।
इस कार्यवाही में थाना प्रभारी प्रेमनगर ओ.पी.कुजूर, चौकी प्रभारी तारा राजेश तिवारी, आरक्षक युवराज यादव, राकेश सिंह, विजय साहू, चंद्रकांत बिजनेर, भुनेश्वर सिंह एवं तुफान सिंह सक्रिय रहे।

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।