गुरुवार, 8 मई 2025

आनलाईन ठगी से बचाव के लिए डीआईजी व एसएसपी सूरजपुर ने ली बैंक प्रबंधकों की बैठक। नए खाते खोलने एवं खातो में मोबाईल नंबर अपडेट करने के पहले तस्दीक करने के निर्देश। पुलिस अधिकारी, पुलिस कन्ट्रोल रूम और बैंक अधिकारियों का बनेगा वाटसएप ग्रुप।

 

सूरजपुर। भय और लालच में आकर लोग बड़ी संख्या में सायबर ठगी का शिकार हो रहे हैं जिससे लोगों को बचाने के लिए डीआईजी व एसएसपी सूरजपुर श्री प्रशांत कुमार ठाकुर ने बैंक प्रबंधन के साथ एक बैठक की। इस बैठक में ऑनलाइन ठगी को रोकने के लिए बैंकों के साथ मिलकर काम करने की रणनीति पर चर्चा कर बैंकों को धोखाधड़ी की शिकायतें आसानी से हल करने और नागरिकों को ऑनलाइन फ्रॉड के बारे में जागरूक करने के लिए कई सुझाव भी दिए। ऑनलाइन फ्रॉड को कम करने में बैंक महत्वपूर्ण भूमिका कैसे अदा कर सकता है उसके टिप्स भी बताए।

               मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को डीआईजी व एसएसपी श्री प्रशांत कुमार ठाकुर ने नगर के सभी बैंक प्रबंधकों की बैठक ली और कहा कि साइबर अपराध के दो पहलू है पहला बैंक और दूसरा मोबाईल सीम प्रोवाईड, दोनों तय प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें तो फ्राड को काफी हद तक रोका जा सकता है। बैंक में खाता खोलवाने वाले व्यक्ति की पूरी जांच पड़ताल के बाद खाता खोलेे, बैंक खाता में मोबाईल नंबर बदलने के पूर्व व्यक्ति की पूरी तस्दीक की जाए, संदिग्ध व्यक्ति जो अपना शहर छोड़कर आपके शाखा में खाता खोलवाने आता है तो उससे इसका कारण पूछे और पूर्ण संतुष्टी के उपरांत खाता खोली जाए। उन्होंने बैंक अफसरों से कहा कि ऑनलाइन ठगी के बाद किसी भी तरह की जानकारी मांगी जाती है तो उसे तुरंत उपलब्ध कराएं। इसमें देर होने पर ठग पुलिस की गिरफ्त से दूर हो जाते हैं। साइबर ठगी को रोकने के लिए बैंकों में अलर्ट सिस्टम हमेशा होना चाहिए। बैंक, एटीएम कैश वाहन, एटीएम सुरक्षा कार्ड में तैनात कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य रूप से कराए।
           डीआईजी व एसएसपी सूरजपुर ने बैंक प्रबंधकों को कहा कि साइबर ठगी रोकने, संदिग्ध बैंक खातों की जांच एवं खाता खोलने के दौरान संबंधित व्यक्ति की पूर्ण तस्दीक की जाए, बैंक में साइबर फ्राड संबंधी शिकायतों को सुनने नोडल अधिकारी नियुक्त करने और साइबर ठगी से बचाव के पुख्ता कदम उठाने बैंक प्रबंधकों से चर्चा कर निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि बैंक की सुरक्षा, ऑनलाईन फ्राड रोकने और ऐसे शिकायतों के निराकरण के लिए पुलिस अधिकारियों, पुलिस कन्ट्रोल रूम व बैंक प्रबंधन का वाटसएप गु्रप बनेगा ताकि कार्य में आसानी हो।
         कोई व्यक्ति ऑनलाइन ठगी का शिकार होता है तो उसे बैंक से उसके खाते और जिस खाते में रकम ट्रांसफर हुई है, इसकी जानकारी समय पर दी जाए। इससे पीड़ितों का सिस्टम पर भरोसा बढ़ेगा। कई बार बैंकों की ओर से जानकारी समय पर नहीं दी जाती है। नतीजा मामला उलझता चला जाता है। बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संतोष महतो, सीएसपी एस.एस.पैंकरा, थाना प्रभारी सूरजपुर विमलेश दुबे, निरीक्षक जावेद मियादांद, साईबर सेल प्रभारी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सोहित गुप्ता, यूको बैंक राजेश पाण्डेय, यूनियन बैंक पुष्पेन्द्र वर्मा, आईडीएफसी बैंक मयंक अग्रवाल, एक्सीस बैंक अजित सोनी, सेन्ट्रल बैंक सोनल एक्का, एसबीआई रायपाल गुप्ता, ग्रामीण बैंक दीपक राज वर्मा, गोविन्द कुमार, एसबीआई कलेक्ट्रेट ब्रांच चांदनी कुमारी, आईसीआईसीआई बैंक पुष्पा राजवाड़े मौजूद रहे।

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।