रविवार, 13 फ़रवरी 2022

24 घंटे में 63 स्थाई वारंट तामिल, 23 वर्ष पुराना स्थाई वारंट हुआ तामिल

  • पुलिस मुख्यालय और रेंज मुख्यालय के निर्देश पर सूरजपुर पुलिस की कार्यवाही
  • अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में चलाया गया अभियान
  • जिले के समस्त राजपत्रित अधिकारी, थाना प्रभारी व पूरा अमला अभियान में शामिल
  • सर्वाधिक 13 वारंट थाना कोतवाली द्वारा किया गया तामिल
  • एनडीपीएस एक्ट, महिला उत्पीड़न आदि प्रकरणों के है ये आरोपी
  • सभी अधिकारी-कर्मचारियों को किया जायेगा पुरस्कृत

सूरजपुर। पुलिस मुख्यालय रायपुर एवं रेंज मुख्यालय के निर्देश पर जिले में स्थाई वारंट की तामीली के लिए विशेष अभियान चलाया गया। प्रभारी पुलिस अधीक्षक श्री राजेश अग्रवाल के कुशल निर्देशन में व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर के नेतृत्व में स्थाई वारंट तामीली के लिए चलाए गए इस अभियान में सभी राजपत्रित अधिकारी व थाना-चौकी प्रभारी व उनकी टीम ने 24 घंटे में 63 स्थाई वारंट तामिल किया जो अब तक एक ही दिन में बड़ी संख्या में स्थाई वारंट तामिल किया गया है। इस अभियान में सर्वाधिक 13 स्थाई वारंटी थाना सूरजपुर के द्वारा तामिल की गई इसके अलावा थाना रामानुजनगर ने 09, प्रेमनगर 2, चंदौरा 4, रमकोला 2, भटगांव 5, प्रतापपुर 1, झिलमिली 2, चांदनी 2, ओड़गी 1, विश्रामपुर 7, जयनगर 12 एवं चौकी बसदेई 1, रेवटी 1 तथा चौकी लटोरी ने 1 कुल 63 स्थाई वारंट तामिल किया है। पुलिस अधीक्षक ने स्थाई वारंटी तामिल के इस अभियान में शामिल सभी अधिकारी-कर्मचारियों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। चोरी के मामले में पिछले 23 वर्ष से फरार वारंटी को भी पकड़ा गया, वहीं 5 वर्षाे से एनडीपीएस एक्ट सहित अन्य मामलों के स्थाई वारंटी तामिल किए गए है। जिले के पुलिस राजपत्रित अधिकारियों के नेतृत्व में वारंटियों की तामिली हेतु थाना-चौकी प्रभारी व उनकी पुलिस टीम लगी हुई थी, लम्बे समय से फरार वारंटियों के लुकछिप कर रहने की जानकारी मिली। कई शातिर आरोपी जिले के अपराध में संलग्न होने से न्यायालय द्वारा वारंट जारी किये जाने पर पहचान छिपाकर सीमावर्ती जिलों में रहने लगे थे। वारंटियों का मुलाहिजा के साथ-साथ कोविड टेस्ट कराया गया जो सभी निगेटिव पाए गए जिन्हें माननीय न्यायालय में पेश किया गया।


'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।