बुधवार, 12 अक्तूबर 2022

6 लाख रूपये कीमत के भैंस-भैंसा जप्त, 3 आरोपी गिरफ्तार, थाना चंदौरा पुलिस की कार्यवाही। परिवहन में प्रयुक्त कन्टेनर ट्रक भी किया गया जप्त

सूरजपुर। बीते रात्रि को थाना चंदौरा पुलिस को मुखबीर से सूचना मिला कि डाक पार्सल कन्टेनर ट्रक क्रमांक एनएल 01 क्यू 458-4558 में अवैध रूप से भैंस-भैंसा को कानपुर की ओर ले जाया जा रहा है। मामले की सूचना से पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू को अवगत कराया गया जिन्होंने थाना प्रभारी को घेराबंदी लगाकर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मधुलिका सिंह व एसडीओपी प्रतापपुर अमोलक सिंह के मार्गदर्शन में थाना चंदौरा की पुलिस के द्वारा थाना के सामने नाकाबंदी लगाया गया इसी दौरान एक कन्टेनर ट्रक आते दिखा जिसे रोकने का इशारा करने पर चालक के द्वारा तेज गति से वाहन को चलाकर भागने लगा जिसका पीछा किया गया। घाट पेण्डारी के पास कन्टेनर ट्रक को छोड़कर आरोपीगण जंगल की ओर भागने लगे जिन्हें पीछा कर पकड़ा गया। कन्टेनर ट्रक की तलाशी लेने पर उसमें 31 रास कृषक पशु भैंस-भैंसा मिला जिनमें से 1 मृत पाया गया तथा 30 जीवित अवस्था में मिले जिन्हें पशु चिकित्सक से उपचार के बाद मानी स्थित राधाकृष्ण गौशाला में भेजा गया।    पूछताछ पर आरोपी मोहम्मद अच्छे पिता मोहम्मद उमर उम्र 37 वर्ष निवासी चंदापुर जिला कानपुर उत्तर प्रदेश, मनबोध पिता सुखसाय उम्र 27 वर्ष ग्राम परशुरामपुर थाना रामानुजनगर व रमेश कुमार पिता नवल साय उम्र 21 वर्ष ग्राम परशुरामपुर थाना रामानुजनगर ने बताया कि ग्राम परमेश्वरपुर से भैंस-भैंसा को लोड़ कर कानपुर उत्तरप्रदेश ले जा रहे थे।  मामले में करीब 6 लाख रूपये कीमत के भैंस-भैंसा एवं परिवहन में प्रयुक्त ट्रक को जप्त कर छत्तीसगढ़ कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2004 की धारा 4, 6/10 व पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11(1(घ), धारा 279, 427 भादसं. के तहत कार्यवाही कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। वहीं मामले में 1 आरोपी फरार है जिसकी पतासाजी की जा रही है। इस कार्यवाही में थाना प्रभारी चंदौरा शिवकुमार खुटे, एएसआई सत्येंद्र सिंह, राम सिंह, प्रधान आरक्षक आनंद, आरक्षक प्रवीण मिश्रा, रविंद्र जायसवाल, मनमोहन विश्वकर्मा व विनय कुमार सक्रिय रहे। 

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।