मंगलवार, 24 मई 2022

सूरजपुर पुलिस ने मानवता की मिशाल पेश की, 2 बच्चों को खोज निकाला, पुलिस अधीक्षक ने खोजबीन में लगे पुलिस टीम को किया पुरस्कृत



सूरजपुर। पुलिस की कड़ी मेहनत के बाद रात्रि में लापता हुए दो बच्चों को सुबह खोज निकाला। दोनों बच्चे पड़ोसी थे जिन्हें बरामद करने के बाद पुलिस ने उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया है। लापता बच्चों के मिलने की खबर पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू को मिली तो उन्होंने अथक प्रयास के बाद मासूमों को बरामद करने के लिए पुलिस टीम का उत्साहवर्धन किया और उन्हें नगद ईनाम भी दिया। थाना सूरजपुर क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम चंदरपुर निवासी 2 मासूम बच्चे खेलने के बाद घर से बिना बताए कहीं चले गए थे, काफी खोजबीन के बाद भी नहीं मिले जिसके बाद सोमवार, 23 मई 2022 की देर रात्रि में परिजनों के द्वारा थाना सूरजपुर में इसकी जानकारी दी गई। मामले की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक ने अत्यन्त गंभीरता व संवेदनशीलता के साथ रात्रि में ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर के नेतृत्व में पुलिस टीम को दोनों मासूम बच्चों की खोजबीन में लगाया। बच्चों की सकुशल बरामदगी को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक व एसडीओपी सूरजपुर गीता वाघवानी भी रात्रि में खोजबीन के इस अभियान में जुटे रहे। सूचना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक ने पुलिस अधिकारी व जवानों को मौके पर भेज क्षेत्र में सघन पतासाजी व खोजबीन करने हेतु लगाया था। जिसके बाद भोर के वक्त पुलिस टीम को दोनों मासूम बच्चों को खोजने में सफलता हाथ लगी। मासूमों को बसंलपारा सूरजपुर में पुआल में सोते हुए देखा गया जिन्हें सकुशल बरामद करते हुए चाय-बिस्किट, पानी उपलब्ध कराया गया और परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया जिसके बाद परिजनों ने पुलिस के प्रति आभार व्यक्त किया है। इस पूरे मामले में पुलिस टीम द्वारा किये गए गुड वर्क के लिए पुलिस अधीक्षक सूरजपुर ने पुलिस टीम को 500 रूपये नगद ईनाम से पुरस्कृत किया है और इसी प्रकार लोगों के शिकायत, अपराधों की जांच व जनहित के कार्यो में सक्रियता व संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। इस कार्यवाही में थाना सूरजपुर के एसआई संतोष सिंह, एएसआई बृजकिशोर पाण्डेय यातायात प्रभारी, प्रधान आरक्षक इसित बेहरा, आरक्षक लक्ष्मी नारायण मिर्रे व राधेश्याम साहू सक्रिय रहे।

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।