मंगलवार, 3 अगस्त 2021

सूरजपुर पुलिस ने 5 लाख कीमत के गुम हुए 30 मोबाईल बरामद कर संबंधित को सौंपा..............




गुम मोबाईल की खोजबीन हेतु ऑनलाईन माध्यम से सूचना देने प्रारंभ कराई गई है सुविधा।

सूरजपुर: जिले में गुम हुए मोबाइलों को खोजने के लिए सूरजपुर पुलिस की ओर से विशेष अभियान चलाया गया। पुलिस अधीक्षक श्रीमती भावना गुप्ता ने लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सूरजपुर पुलिस के ब्लाग में गुम मोबाईल की सूचना देने की सुविधा उपलब्ध कराया है इसके अलावे लिंक https://forms.gle/hYeR5TfNft3yqTet7   पर भी क्लीक कर गुम हुए मोबाईल के बारे में सूचना दी जा रही है। पुलिस के इस नई पहल के बाद 30 गुम मोबाईल रिकव्हर कर मंगलवार 03 अगस्त को पुलिस अधीक्षक ने संबंधितों को सौंपा है इन मोबाइलों को सर्विलांस में लगाकर ट्रेस किए गए थे।
          पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गुम हुए मोबाइल को खोजने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है साथ ही लोगों की सुविधा के लिए गुम मोबाईल की सूचना देने आनलाईन सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लोग अब आसानी से अपने गुम हुए मोबाईल की जानकारी हम तक पहुंचा पा रहे है। उन्होंने बताया कि साइबर सेल को आवश्यक निर्देश दिए गए कि ऑनलाईन माध्यम से मोबाइल गुम होने संबंधी सूचना मिलने के तुरंत बाद सर्विलांस में लगाकर गुम मोबाईल को ट्रेस किए जाए और मोबाइल बरामद होने पर आवेदकों को उनके मोबाईल सुपुर्द किया जाए। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिले की पुलिस के द्वारा गुम हुए मोबाईल खोजने का यह अभियान निरंतर जारी रहेगा। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर, एसडीओपी ओड़गी मंजूलता बाज, एसडीओपी प्रतापपुर अमोलक सिंह, स्थापना प्रभारी अखिलेश सिंह सहित अन्य अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।

करीब 5 लाख रुपए की कीमत के 30 मोबाइल सुपुर्द किए।

जिनमें आवेदक प्रधान आरक्षक दूरसंचार यदुनाथ सिंह, रामेश्वरी, जागेश्वर, शांतनु पैंकरा, प्रदीप पाठक, रमेश सिंह, ललित जिन्दल, सहदेव बैरागी, उमाशंकर कुशवाहा, परशुराम, संध्या द्धिवेदी, नंदकेश्वर सिन्हा को उनके गुम हुए मोबाईल को दिया गया। इसके अलावा 18 अन्य लोग जो जिले के विभिन्न क्षेत्र के निवासी है उन्हें संबंधित थाना-चौकी के माध्यम से मोबाईल को सौंपा जाएगा। मोबाइल खोजने में साइबर सेल से आरक्षक युवराज यादव, रौशन सिंह, विनोद सारथी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3

'सायबर की पाठशाला' : सायबर जागरूकता अभियान कड़ी-3
सायबर की पाठशाला में आज तीसरे पाठ में हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि एक सुरक्षित लिंक कैसा दिखता या होता है। धोखेबाज/अपराधी आम लोगों को ठगने के लिए बैंको के नाम से मिलते जुलते नाम या अक्षरों का प्रयोग करके एक यूआरएल/URL बनाता है और उसे मोबाइल पर सीधे मैसेज के रूप में भेजता है इन लिंकनुमा URL पर क्लिक करते ही आप ठगी के शिकार हो जाते हैं। यदि लिंक में anydesk, mingle, teamviewer जैसे शब्द हैं तो आपके फोन को हैक करने का प्रयास हो रहा है, तुरंत मैसेज डिलिट करें। लिंक पर क्लिक बिलकुल न करें। अनजान व्यक्तियों से फोन पर ज्यादा बात न करें और न ही उन्हें किसी भी तरह की जानकारी दें चाहे कुछ भी हो जाए। तभी आप ठगी से बच पाएंगे। इस तरह के फर्जीवाड़ों पर और विस्तार से जानकारी के लिए इस श्रृंखला पर नजर बनाए रखें। पिछले पाठों को फिर से जानने के लिए/ पुनरावलोकन के लिए तस्वीर पर क्लिक करें या ऊपर के संबंधित टैब (सायबर की पाठशाला) पर क्लिक करें।