- पुलिस अधीक्षक सूरजपुर ने पुलिस लाईन में चल रहे प्रशिक्षण का लिया जायजा, कहा हथियार लेने से पहले उसकी बेसिक जानकारी बेहद जरूरी।
सूरजपुर किसी ने जान को खतरा बताकर, तो किसी ने हमला होने की आशंका को आधार बनाकर लाइसेंसी हथियार लेने के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें हथियार को चलाना और उसके रखरखाव संबंधी जानकारी भी नहीं है। इस कारण हथियार इस्तेमाल करते समय गलती होने की आशंका रहती है। इससे दूसरों को नुकसान हो सकता है। इसके चलते अब लाइसेंसी हथियार की मांग करने वालों को पुलिस से ट्रेनिंग लेना होगा। इसके बाद ही हथियार का लाइसेंस स्वीकृति की अग्रिम कार्यवाही संभव हो सकेगी। शासन व पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद ट्रेनिंग को आवश्यक कर दिया गया है। पुलिस महानिरीक्षक, सरगुजा रेंज श्री राम गोपाल गर्ग (भा.पु.से.) के सतत् मार्गदर्शन में पुलिस अधीक्षक सूरजपुर श्री रामकृष्ण साहू (भा.पु.से.) के द्वारा शस्त्र लायसेंस स्वीकृति हेतु आवेदन करने वाले व्यक्तियों का हथियार चलाने व बंदूक को सावधानी से कैसे रखा जा सकता है उसका प्रशिक्षण पुलिस लाईन सूरजपुर में दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के प्रथम सत्र में 4 लोगों को बंदूक के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
मंगलवार, 04 अप्रैल को पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू (भा.पु.से.) ने रक्षित केन्द्र सूरजपुर में चल रहे प्रशिक्षण का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने लायसेंस स्वीकृति के लिए प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को कहा कि शस्त्र लायसेंस लेने से पहले उसके बारे में बेसिक जानकारी, खोलना-जोड़ना, साफ-सफाई कैसे की जाती है इसकी जानकारी होना बेहद आवश्यक है। शस्त्र को लावारिश हालत में नहीं छोड़ने तथा शस्त्र की सुरक्षा एवं बरते जाने वाले सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि शस्त्र का लायसेंस मिलने के बाद शस्त्र का दुरूपयोग ना हो, शस्त्र आपकी आत्मरक्षा के लिए है। इस दौरान उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे लोगों से शस्त्र को खोल-जोड़ कराकर भी देखा। इस दौरान डीएसपी लाईन इम्मानुएल लकड़ा, रक्षित निरीक्षक भूपेन्द्र कुर्रे, आरमोरर कमल धीवर सहित प्रशिक्षणार्थीगण मौजूद रहे।
- पुलिस लाइन में 1 सप्ताह की ट्रेनिंग
लाइसेंसी हथियार के लिए आवेदन करने के बाद आवेदक को पुलिस लाइन सूरजपुर में हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण 7 दिन का रहेगा। इसके लिए 4 हजार रुपए का शुल्क लगेगा। प्रशिक्षण में फायरिंग करना, बंदूक को रखने का तरीका, राउंड लोड करना, ट्रिगर की पोजीशन, टारगेट केपीसिटी आदि के संबंध में जानकारी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि पहले ऐसा नहीं होता था। आवेदन करने वाले के नाम-पते की सत्यता की जांच की जाती थी। इसके बाद लाइसेंस दे दिया जाता था। किन्तु अब शस्त्र लायसेंस की स्वीकृति हेतु आवेदन करने वालों को पुलिस से प्रशिक्षण लेना होगा।